भारत में IPO (Initial Public Offering) का बाजार कई तरह के निवेशकों को आकर्षित करता है। हर निवेशक की अपनी अलग क्षमता, निवेश सीमा और उद्देश्य होते हैं। IPO निवेशक एक ऐसा व्यक्ति या ऑर्गेनाइजेशन होती है जो किसी कंपनी के IPO के दौरान उसके शेयर खरीदता है। निवेशक इस उम्मीद के साथ ये शेयर खरीदते हैं कि उन्हें भविष्य में मुनाफा होगा। IPO के शेयर खरीदने की प्रक्रिया शेयर बाजार से शेयर खरीदने से काफी अलग होती है।
वहीं व्यक्तिगत निवेशकों के लिए भी यह जानना जरूरी होता है कि IPO में कौन-कौन से प्रकार के निवेशक होते हैं और वे खुद किस श्रेणी में आते हैं। चलिए, भारत में IPO में भाग लेने वाले प्रमुख निवेशकों के प्रकारों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
आईपीओ निवेशकों के प्रकार | IPO में इन्वेस्टर के प्रकार
रिटेल इंडिविजुअल इंवेस्टर्स (RII)
यह IPO के लिए आवेदन करने वाली सबसे आम श्रेणियों में से एक है। रिटेल इंडिविजुअल इंवेस्टर्स, जिन्हें आमतौर पर “रिटेल निवेशक” कहा जाता है, ये वो लोग होते हैं जो छोटे स्तर पर निवेश करते हैं। रिटेल इंडिविजुअल इंवेस्टर्स (RII) में भारतीय निवासी, NRI और हिन्दू अविभाजित परिवार (HUF) शामिल होते हैं। एक रिटेल निवेशक अधिकतम 2 लाख रुपये तक ही IPO में निवेश कर सकता है। अगर वह 2 लाख रुपये से अधिक का निवेश करना चाहता है, तो वह NII (नॉन-इंस्टिट्यूशनल इंवेस्टर) कैटेगरी में आवेदन कर सकता है।
IPO में रिटेल रिजर्वेशन नियम
IPO का प्रकार | RII रिजर्वेशन नियम |
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बुक बिल्डिंग IPO (प्रॉफिटबिलिटी रूट) | कम से कम 35% रिटेल निवेशकों के लिए आरक्षित होता है। |
बुक बिल्डिंग IPO (QIB रूट) | 10% से अधिक रिटेल निवेशकों के लिए आरक्षित नहीं होता। |
फिक्स्ड प्राइस IPO | नेट ऑफर का कम से कम 50% रिटेल निवेशकों को आवंटित किया जाता है। |
IPO में रिटेल निवेशकों के लिए टिप्स
- हमेशा कट-ऑफ प्राइस पर आवेदन करें।
- अगर IPO ओवर-सब्सक्राइब है, तो प्रति आवेदन केवल एक लॉट के लिए आवेदन करें।
- Allotment बढ़ाने के लिए अपने परिवार के सदस्यों के नाम से अलग-अलग खातों से आवेदन करें।
नॉन-इंस्टिट्यूशनल इंवेस्टर्स (NII)
NII कैटेगरी में वे सभी भारतीय निवासी व्यक्ति, NRI, HUF, कंपनियाँ, कॉरपोरेशन, शिक्षण संस्थान, सोसायटी और ट्रस्ट आते हैं, जो IPO शेयरों के लिए ₹2 लाख से अधिक निवेश करते हैं। QII (क्वालिफाइड इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स) और NII (नॉन-इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स) के बीच मुख्य अंतर यह है कि NII को SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) के साथ रजिस्ट्रेशन करवाने की आवश्यकता नहीं होती है।
जो निवेशक NII कैटेगरी में ₹2 लाख से अधिक की बोली लगाते हैं, इसलिए NII कैटेगरी को HNI (हाई नेट-वर्थ इंडिविजुअल) कैटेगरी भी कहा जाता है।
NII कैटेगरी की सब कैटेगरी
NII कैटेगरी को दो सब कैटेगरी में बाँटा गया है:
- स्मॉल NII: जिन निवेशकों की बोली ₹2 लाख से ₹10 लाख के बीच होती है, उन्हें स्मॉल NII (sNII या sHNI) कहा जाता है। NII कैटेगरी के 1/3 शेयर स्मॉल NII के लिए आरक्षित होते हैं।
- लार्ज NII: जिन निवेशकों की बोली ₹10 लाख से अधिक होती है, उन्हें लार्ज NII (bNII या bHNI) कहा जाता है। NII कैटेगरी के 2/3 शेयर लार्ज NII के लिए आरक्षित होते हैं।
NII कैटेगरी के लिए रिजर्वेशन नियम
IPO का प्रकार | NII रिजर्वेशन नियम |
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बुक बिल्डिंग IPO (प्रॉफिटबिलिटी रूट) | कम से कम 15% NII निवेशकों के लिए आरक्षित होता है। जिसमे 10% लार्ज NII के लिए और 5% स्मॉल NII के लिए होता है। |
बुक बिल्डिंग IPO (QIB रूट) | अधिकतम 15% NII निवेशकों के लिए आरक्षित होता है। |
फिक्स्ड प्राइस IPO | रिटेल निवेशकों को 50% देने के बाद बाकी हिस्सा NII और QIB को आवंटित किया जाता है। |
क्वालिफाइड इंस्टिट्यूशनल बायर्स (QIB)
QIBs पेशेवर और अनुभवी निवेशकों का समूह होता है। इसमें म्यूचुअल फंड, कमर्शियल बैंक, पब्लिक फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस और फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPIs) शामिल होते हैं। ये वे संस्थाएँ होती हैं, जो SEBI के साथ रजिस्टर्ड होती हैं और IPO में निवेश करने के लिए योग्य होती हैं।
QIBs सामान्यतः बड़े पैमाने पर निवेश करते हैं। इनमें से अधिकांश छोटे निवेशकों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो म्यूचुअल फंड्स, इंश्योरेंस कंपनियों की ULIP योजनाओं और पेंशन योजनाओं के माध्यम से निवेश करते हैं। QIBs एक बार अपनी बीड लगाने के बाद इसे वापस नहीं ले सकते, इसलिए वे आमतौर पर IPO सब्सक्रिप्शन की आखिरी तारीख को निवेश करते हैं।
QIB कैटेगरी के लिए रिजर्वेशन
IPO में QIBs के लिए विभिन्न प्रकार के रिजर्वेशन होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
इश्यू प्रकार | QIB रिजर्वेशन नियम |
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बुक बिल्डिंग IPO (प्रॉफिटबिलिटी रूट) | अधिकतम 50% |
बुक बिल्डिंग IPO (QIB रूट) | न्यूनतम 75% |
फिक्स्ड प्राइस IPO | कम से कम 50% रिटेल निवेशकों को आवंटित करने के बाद, शेष हिस्सा अन्य निवेशकों, कंपनियों, NIIs और QIBs को आवंटित किया जाएगा। |
एंकर इन्वेस्टर्स
एंकर इन्वेस्टर्स वे संस्थागत निवेशक होते हैं, जो IPO के सार्वजनिक होने से पहले उसका एक बड़ा हिस्सा खरीदने का वादा करते हैं। इनकी भागीदारी IPO को स्थिरता और भरोसा प्रदान करती है, जिससे अन्य निवेशकों को भी भाग लेने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। एंकर इन्वेस्टर्स को आमतौर पर एक फिक्स्ड प्राइस पर शेयरों का निश्चित आवंटन दिया जाता है।
कोई भी QII (Qualified Institutional Investor) जो ₹10 करोड़ से अधिक का आवेदन करता है, वह एंकर इन्वेस्टर माना जाता है। यानी एंकर इंवेस्टर्स QIBs का ही एक प्रकार होते हैं। QIIs के लिए आरक्षित शेयरों में से 60% तक एंकर इन्वेस्टर्स को बेचे जा सकते हैं।
एंकर इन्वेस्टर IPO लिमिट
- मेनबोर्ड IPO में एंकर इन्वेस्टर को आवेदन के लिए न्यूनतम ₹10 करोड़ और SME IPO में ₹2 करोड़ की आवश्यकता होती है।
- QIB (Qualified Institutional Buyers) के लिए आरक्षित शेयरों का 60% तक एंकर इन्वेस्टर्स को आवंटित किया जा सकता है। इसमें एक तिहाई शेयर घरेलू म्यूचुअल फंड्स के लिए आरक्षित होते हैं।
- एंकर इन्वेस्टर, उनके लिए आरक्षित श्रेणी में पेश किए गए कुल शेयरों तक आवेदन कर सकते हैं।
एंकर इन्वेस्टर्स और QIIs में अंतर
- IPO से पहले आवेदन का अधिकार: एंकर इन्वेस्टर्स IPO शुरू होने से एक दिन पहले बोली लगा सकते हैं।
- ₹10 करोड़ या अधिक के लिए आवेदन: एंकर इन्वेस्टर्स को न्यूनतम ₹10 करोड़ की कीमत के शेयरों के लिए आवेदन करना अनिवार्य है।
- QIIs का एक उपसमूह: एंकर इन्वेस्टर्स QIIs का हिस्सा हैं और QIIs के लिए आरक्षित आवंटन का एक भाग उन्हें मिलता है।
- लॉक-इन अवधि: एंकर इन्वेस्टर्स को 30 दिनों की लॉक-इन अवधि का पालन करना होता है।
पात्र कर्मचारी
कंपनी द्वारा जारी IPO में एक हिस्सा विशेष रूप से अपने पात्र कर्मचारियों के लिए आरक्षित किया जा सकता है। पात्रता के मापदंडों को IPO के प्रॉस्पेक्टस डॉक्यूमेंट्स में समझाया गया होता है। आमतौर पर, निम्नलिखित कर्मचारी आरक्षित कर्मचारी कैटेगरी के तहत आवेदन करने के पात्र होते हैं:
- कंपनी, इसकी होल्डिंग कंपनी, या किसी सहायक कंपनी में काम करने वाले परमानेंट या फूल टाइम कर्मचारी (भारत या विदेश में)।
- वे कर्मचारी जो कंपनी के फूल टाइम या पार्ट टाइम निदेशक से निकट संबंध रखते हैं।
- वे कर्मचारी जो उस entity से जुड़े हैं जिसके वित्तीय विवरण कंपनी के वित्तीय विवरणों के साथ समेकित हैं।
कर्मचारियों को डिस्काउंट पर शेयर खरीदने का मौका
कर्मचारियों को कम कीमत पर शेयर खरीदने का अवसर मिलता है। कर्मचारी डिस्काउंट वह डिस्काउंट है जो पात्र कर्मचारियों को कंपनी के शेयर खरीदने पर दी जाती है। इस डिस्काउंट का लाभ पाने के लिए कर्मचारी को कर्मचारी आरक्षण कोटा के तहत आवेदन करना होगा। पात्रता, डिस्काउंट की राशि, और नियम IPO के RHP डॉक्यूमेंट में अलग-अलग होते हैं। ध्यान दें कि यह डिस्काउंट अन्य निवेशकों के लिए पेश की गई कीमत के 10% से अधिक नहीं होनी चाहिए।